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बाबू अली साबरी (Babu Ali Sabri)-

वाराणसी के मशहूर युवा सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ता बाबू अली साबरी का जन्म 12 अप्रैल 1992 को वाराणसी के ग्राम सभा बीरभानपुर में हुआ था इनके पिता मकबूल आलम जो नगर निगम वाराणसी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे जिनकी मौत 2015 में हो गई इनकी माता मदीना बानो जो एक गृहणी है ! साबरी पांच भाई और तीन बहने हैं भाइयों में साबरी सबसे बड़े है ! इनकी प्रारंभिक पढ़ाई स्थानीय स्कूल और कॉलेजों से हुई, जगतपुर पीजी कॉलेज से बीकॉम करने के बाद इन्होंने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी अधिकृत माइक्रोटिक कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी वाराणसी से फाइनेंस और मार्केटिंग से एमबीए किया और उसके बाद बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में 7 वर्षों तक सेवा देते रहे ! बाबू अली साबरी का विवाह 2017 में गुड़िया अली साबरी से हुआ अभी इनकी एक पुत्री है जिसका नाम इकरा अली साबरी है ! देश में मुसलमानों और वंचित समाज के लोगों पर हो रहे राजनीतिक कानूनी हमलों को देखते हुए इन्होंने कानून की पढ़ाई करने की ठानी और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से एलएलबी करने लगे और सामाजिक और राजनैतिक दुनिया में कदम रखा !

सामाजिक, राजनीतिक संघर्ष-

बाबूूू अली साबरी वैचारिक रूप सेे गांधी और अंबेडकर के साझा समर्थक है इन्होंने दलित, मुस्लिम, पिछड़ों और वंचितों के मुद्दों तथा देश में संविधान को असल रूप में कायम करानेेे के लिए दर्जनों लोकतांत्रिक आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई ! वर्ष 2018 मेंं इन्होंने पहली बार ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन में जिला महासचिव वाराणसी के रूप में सदस्यता ली और पंचायत चुनाव 2021 मेंं वाराणसी केेेेेे विकासखंंड आराजी लाइंस सेक्टर नंबर 3 से जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव लड़ा !

देश में हो रहे मॉब लिंचिंग व नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलनों में नेतृत्व के दौरान बाबू अली साबरी को ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त हुआ इनके आंदोलनकारी रवैया और अल्पसंख्यकों के अधिकार को लेकर सरकारों से तीखी सवाल करने की वजह से भाजपा सरकार मेंं इन्हें सरकार विरोधी माना जाता हैैै जिस वजह से प्रधानमंत्री महोदय श्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के वाराणसी आगमन पर इनको नजरबंद कर दिया जाता है ! एक बार नवंबर 2019 मेंं प्रधानमंत्री महोदय के वाराणसी आगमन पर इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था जिसके बाद मामले का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया और उस पर इंक्वायरी बैठी और जांच हो रहा है !

जिम्मेदारियां -

संस्थापक, अध्यक्ष - मानवाधिकार संयुक्त कार्रवाई परिषद (Joint Action Council On Human Rights - JACHR),

Founder, CEO - Awaam Foundation Research And Development Trust.